Friday, February 23, 2007

गजल : मोहबत ने हमको यारों ।

मोहबत ने हमको यारों ईतना रुलाया है ।
फिर मोहबत ने हि सारे गमको भुलाया है ।

ये मोहबतको समझना है कठिन बडा हि ,
कभि पत्थर दिलमें भि ईसीने प्यार लाया है ।

लोग रखते हिसाब क्यों उन्होंने सिर्फ जो खोया ,
कभि तो सोचो मोहबतमें तुमने क्या पाया है ।

हम जाएं जिधर भि भूलकर मोहबतको ,
साथ हि चल आता मोहबत हमारा साया है ।

सबकुछ समझकर ईसीको दिप जलाकर ,
मोहबतको हमनें यारों गीत गुन्गुनाया है ।

पहिले नै कलेजमा हुंदा हिन्दीमा लेखेको यो यौटा गजल । भाषिक तथा ब्यैयाकरणिक हिसाबले यो शुद्ध त छैन होला तर पनि आफुले लेखेको कुरा माया लागेर यहाँ राखेको हुँ ।

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